वायु विभिन्न अनुपातों में कई गैसों की मिश्रण से बना है। यह नाइट्रोजन (78%), ऑक्सीजन (21%), कार्बन-डाइऑक्साइड (0.04%), और जल वाष्प (0.4%) तथा अन्य चीजों से मिलकर बना है। इसमें मीथेन, ओजोन और मिनट अनुपात में अन्य गैसें भी होती हैं।लेकिन हाल के वर्षों में कुछ मानवीय गतिविधियों के कारण हवा प्रदूषित हो गई है जो मानव और पृथ्वी पर अन्य जीवित और अजीवित प्राणियों पर हानिकारक प्रभाव डालती है। आज हम इसी वायु पप्रदुषण के बारे में पढ़ेंगे और समझेंगे की ये क्या होता है। वायु प्रदुषण के प्रभाव क्या है, इसके परिणाम क्या है और इससे कैसे रोक सकते है।
जब विभिन्न गतिविधियों जैसे जीवाश्म ईंधन के जलने, कारखानों से निकलने वाले धुएं आदि के कारण अवांछित और हानिकारक कण हवा में मिल जाते हैं, तो इसे वायु प्रदूषण कहा जाता है। वे पदार्थ जो शुद्ध वायु में मिलकर उसे प्रदूषित करते हैं, वायु प्रदूषक कहलाते हैं। कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोआक्साइड कुछ वायु प्रदूषक के उदाहरण है।
रिफाइनरियों, बिजली संयंत्रों, कारखानों और ऑटोमोबाइल में जीवाश्म ईंधन के दहन से वायुमंडल में सल्फर और नाइट्रोजन के ऑक्साइड निकलते हैं जो क्रमशः जल वाष्प के साथ प्रतिक्रिया करते हैं और सल्फ्यूरिक और नाइट्रिक एसिड बनाते हैं। ये अम्ल, वर्षा के पानी के साथ नीचे गिरते हैं और इसे अम्लीय बनाते हैं। इसे अम्लीय वर्षा कहते हैं।
अम्लीय वर्षा से बहुत ही हनिया होती है जैसे यह महान ऐतिहासिक स्मारकों को क्षति पहुँचता है। यह पृथ्वी पर जल संसाधनों को भी प्रभावित करता है। और जिसकी वजह से जलीय जानवरों को भी नुकसान पहुँचता है। यह पौधों की पत्तियों को प्रभावित करता है।
सूर्य की किरणें पृथ्वी की सतह को गर्म करती हैं। पृथ्वी पर गिरने वाले इस किरण के एक हिस्से को पृथ्वी के वातावरण में मौजूद गैसों द्वारा अवशोषित किया जाता है और शेष किरण को वापस अंतरिक्ष में भेज दिया जाता है। और किरणों का कुछ हिस्सा कार्बन-डाई-ऑक्साइड मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड और जल वाष्प जैसे गैसों द्वारा रोक लिया जाता है इन गैसों को ग्रीन हाउस गैस कहा जाता है। इन गैसों की वजह से कुछ किरणे हमारे वायुमंडल में रह जाता है, जो पृथ्वी की सतह को और गर्म कर देता है। इसे पराक्रम को ग्रीनहाउस इफ़ेक्ट या ग्रीनहाउस प्रभाव कहते है। ग्रीन हाउस इफ़ेक्ट की वजह से विश्व का तापमान बढ़ रहा है।
वायुमंडल में कार्बन-डाई-ऑक्साइड मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड और जल वाष्प जैसे ग्रीनहाउस गैसों ऊष्मा को अवशोषित करती है जिससे पृथ्वी के औसत तापमान में वृद्धि होती है। इसे ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है। ग्लोबल वार्मिंग के परिणामस्वरूप ध्रुवीय बर्फ, ग्लेशियर पिघलना शुरू हो गए हैं। इससे समुद्र के जल स्तर में वृद्धि हो सकती है जो तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के अस्तित्व को खतरे में डाल सकती है। यह कृषि, पौधों, जानवरों और मनुष्यों पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है।